मुख में घुघंट सर पे गागर,
गोरी जाए पनघट की ओर,
खाली गागर में प्यास लिए,
प्रीतम की मन में आस लिए,
दो नयनो से मदिरा छलकाए ।
घुघंट में गोरी शरमाएं ।।
पथ पथरीला नग्न पांव है,
तलवों में हो गए घाव है,
निरंतर लक्ष्य को बढती जाए ।
घुंघट में गोरी शरमाए ।।
पायल की हल्की छम छम पे,
सांसे भी रूक रूक थम थम के,
झर झर बहते झरने गाए ।
घुंघट में गोरी शरमाए ।।
पूनमचंद गुप्ता